व्यवहारवादी सौंदर्यशास्त्र
सौन्दर्यानुभूति, कला पर पुनर्विचार
रिचर्ड शस्टरमैन
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Upcoming Release
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Paper Back
ISBN : 978-93-48671-48-6
Genre : Non-Fiction / Philosophy
Language : Hindi
Number of Pages : 722
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Release date: January 2026
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रिचर्ड शस्टरमैन
रिचर्ड शस्टरमैन
रिचर्ड शस्टरमैन एक अमेरिकी व्यवहारवादी दार्शनिक हैं। दार्शनिक सौंदर्यशास्त्र और सोमासथेटिक्स के उभरते क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सुविख्यात प्रो. शस्टरमैन वर्तमान में मानविकी में डोरोथी एफ. श्मिट प्रख्यात विद्वान और फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक हैं। शुस्टरमैन ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट जॉन्स कॉलेज से दर्शनशास्त्र की डॉक्टरेट उपाधि प्राप्त की । प्रो. शस्टरमैन की 35 से अधिक पुस्तकें और 280 शोध पत्र दुनिया के शीर्ष अकादमिक प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किए गए हैं।
डॉ. प्रभाशंकर द्विवेदी & सुश्री विजयलक्ष्मी
डॉ. प्रभाशंकर द्विवेदी वर्तमान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, के अंग्रेजी विभाग में आचार्य के पद पर कार्यरत हैं l उन्होंने डॉ. हरि सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर, भारत में अंग्रेजी विभाग में भी अध्यापन कार्य किया है। उन्होंने तुलनात्मक साहित्यिक अध्ययन, भारतीय सौंदर्यशास्त्र, साहित्यिक सिद्धांत और संस्कृति एवं धर्म के क्षेत्रों में काफी शोध कार्य किया है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रिकाओं में लगभग 30 शोध लेख और एक अनुवाद प्रकाशित किया है। उनके हालिया प्रकाशनों में रूटलेज द्वारा प्रकाशित एस्थेटिक्स एंड द फिलॉसफी ऑफ आर्ट: कम्पेरेटिव पर्सपेक्टिव्स (2021) शामिल है। डॉ. द्विवेदी ने वर्ष 2019 में मोतीलाल बनारसीदास के साथ एपिस्टेमोलॉजी एंड लिंग्विस्टिक्स: भर्तृहरि, स्ट्रक्चरलिज्म एंड पोस्टस्ट्रक्चरलिज्म नामक एक और पुस्तक प्रकाशित की है। डॉ. द्विवेदी भारत और विदेशों में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में अपने शोध परिणाम प्रस्तुत करते रहे हैं।
सुश्री विजयलक्ष्मी, जो वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुपति में हिंदी सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं, हिंदी भाषा के प्रचार और विकास में समृद्ध अनुभव रखती हैं। उप निदेशक (राजभाषा) के पद से सेवानिवृत्त होने से पूर्व, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक क्षेत्रों में 33 वर्षों की अपनी प्रतिष्ठित सेवा के दौरान, भारत के बहुभाषायी और बहु-सांस्कृतिक परिवेश में विभिन्न भाषा समुदायों को जोड़ने में हिंदी भाषा की भूमिका के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से परिकल्पित भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुपति से हिंदी में स्नातक उपाधि तथा अनुवाद और कार्यात्मक हिंदी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, दोनों ही में प्रथम श्रेणी के साथ प्राप्त की है। वे श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय, तिरुपति में हिंदी विभाग की पाठ्य समिति की सदस्या हैं, और इस पद पर रहते हुए दक्षिण भारत में हिंदी शिक्षा के भविष्य को आकार देने में योगदान देती हैं।
उनकी विशेषज्ञता अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद में है, और अंग्रेजी से हिंदी में साहित्यिक सामग्री के अनुवाद और संपादन में वे सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।